Aditya-L1 Launch: चांद की तरह आज तक सूरज पर क्यों नहीं लैंड कर पाया एक भी स्पेसशिप?
Aditya-L1 Mission Launch: भारत से पहले कई देशों ने सूर्य मिशन लॉन्च किए हैं, लेकिन चांद की तरह सूरज की सतह पर किसी भी देश का यान नहीं पहुंच पाया. जानिए इसकी वजह क्या रही.
Aditya-L1 Launch Live: जब भारत ने चंद्रयान-3 को लॉन्च किया था तो पूरी दुनिया की नजर भारत पर थी, क्योंकि भारत ने लैंडिंग के लिए साउथ पोल को चुना था. भारत से पहले अमेरिका, रूस और चीन ने चांद पर लैंडिंग तो की थी, लेकिन कोई भी देश साउथ पोल पर लैंड नहीं कर पाया. भारत ने ऐसा करके एक नया इतिहास रच दिया. चांद के बाद आज 2 सितंबर को भारत अपना पहला सूर्य मिशन लॉन्च कर रहा है.
भारत से पहले कई देशों ने सूर्य मिशन लॉन्च किए हैं, लेकिन चांद की तरह सूरज की सतह पर किसी भी देश का यान नहीं पहुंच पाया. भारत का आदित्य-एल1 भी सूरज और पृथ्वी के बीच की दूरी L1 तक का सफर तय करेगा. यहीं से वो सूरज की तमाम गतिविधियों पर नजर रखेगा. लेकिन ऐसे में एक बात जाननी जरूरी है, वो ये कि आखिर सूरज की सतह पर लैंडिंग क्यों नहीं की जा सकती.
जानिए क्यों संभव नहीं है सूरज पर लैंडिंग
सूरज पर लैंडिग न कर पाने की सबसे बड़ी वजह वहां का तापमान है. सूरज का तापमान इतना ज्यादा है कि पृथ्वी की कोई भी चीज उसका सामना नहीं कर सकती् अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के अनुसार सूर्य के केंद्र बिंदु (Core) का तापमान 27 मिलियन डिग्री फारेनहाइट (15 मिलियन डिग्री सेल्सियस) है और इसकी सतह का तापमान करीब 10 हजार डिग्री फारेनहाइट है. इसके अलावा हमें सूरज की बनावट को भी समझना चाहिए. सूरज का बाहरी हिस्सा कोरोना कहलाता है, उसके बाद क्रोमोस्फीयर की परत है, फिर फोटोस्फीयर, उसके बाद कन्वेक्शन जोन (संवहन क्षेत्र), उसके बाद रेडियोएक्टिव जोन और फिर केंद्र बिंदु है.
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अगर सूर्य के फोटोस्फीयर तक पहुंचा जाए तो गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के कारण किसी भी चीज का वजन पृथ्वी पर मौजूद वजन से 26 गुना ज्यादा हो जाएगा. अगर इससे भी अंदर जाया जाए तो कन्वेंक्शन सेंटर आ जाएगा और यहां का तापमान 2 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. पृथ्वी पर मौजूद कोई भी चीज इतने ज्यादा तापमान का सामना नहीं कर सकती है. इस बिंदु पर कोई भी अंतरिक्ष यान पिघलकर एकदम खत्म हो जाएगा.
नासा करता है ये दावा
हालांकि इस मामले में नासा ये दावा करता है कि उसका 'पार्कर सोलर प्रोब' नामक मिशन जिसे नासा ने साल 2018 में लॉन्च किया था, वो सूर्य के सबसे करीब पहुंचा है. 14 दिसंबर 2021 को नासा ने घोषणा की थी उसके अंतरिक्ष यान ने पहली बार सूर्य को छुआ, जहां का वातावरण लगभग 2 मिलियन डिग्री फारेनहाइट है. इसमें ये भी दावा किया गया था कि उसके अंतरिक्ष यान ने कोरोना से होकर उड़ान भरी.
कौन-कौन से देश भेज चुके हैं सूर्य मिशन
आदित्य एल-1 बेशक भारत का पहला सूर्य मिशन है, लेकिन भारत से पहले 22 मिशन सूर्य तक भेजे जा चुके हैं. इनमें अमेरिका, जर्मनी और यूरोपियन एजेंसी शामिल है. इन 22 मिशन में से 14 मिशन तो अकेले नासा भेज चुका है. साल 1994 में यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने भी नासा के साथ मिलकर एक सूर्य मिशन भेजा था. इन सभी का उद्देश्य सूरज का अध्ययन करना था. साल 2001 में नासा ने जेनेसिस मिशन लॉन्च किया था, जिसका मकसद सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए सौर हवाओं का सैंपल लेना था.
क्या करेगा भारत का आदित्य एल-1
आदित्य-L1 मिशन ऑब्जर्वेटरी क्लास मिशन है. ये पहली भारतीय अंतरिक्ष आधारित ऑब्जर्वेटरी (वेधशाला) होगी. अब तक हम जो भी अध्ययन सूरज को लेकर करते आए हैं, वो सभी दूरबीन की मदद से किए हैं. ये दूरबीनें कोडईकनाल या नैनीताल के ARIES जैसी जगहों पर लगी हैं, लेकिन हमारे पास स्पेस में टेलीस्कोप नहीं हैं. धरती पर रहकर दूरबीन की मदद से सूरज की सतह को देख पाना मुमकिन नहीं हो पाता है. सूरज के वातावरण को नहीं समझा जा सकता, जो कि धरती से एकदम अलग है. कोरोना आखिर इतना गर्म क्यों होता है, इसकी इसकी पूरी जानकारी नहीं है. ऐसे तमाम सवाल जिनका जवाब धरती से नहीं मिल सकता, वो अब अंतरिक्ष में जाकर मिलेगा. भारत का आदित्य यान L1 पॉइंट में रहकर सूरज की गतिविधियों पर 24 घंटे निगाह रखेगा और ग्राउंड स्टेशन पर फोटोग्राफ्स भेजेगा.
क्या है आदित्य L1 का मकसद
सूर्य के आसपास के वायुमंडल का अध्ययन करना.
क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग की स्टडी करना, फ्लेयर्स पर रिसर्च करना.
सौर कोरोना की भौतिकी और इसका तापमान को मापना.
कोरोनल और कोरोनल लूप प्लाज्मा का निदान करना, इसमें तापमान, वेग और घनत्व की जानकारी निकालना.
सूर्य के आसपास हवा की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता को जांचना.
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10:46 AM IST